Saturday, February 1, 2020

क्यों छोटी मामी भी चुदावा ली ?

हेलो दोस्तों ये कहानी मैं मनीष का भेजा हुआ पोस्ट किया है जो अपने मामा जी के यहाँ अक्सर जाते रहता था अपनी बड़ी वाली मामी की बहु यानि भाभी को चोदने उसी बिच छोटी भाभी भी चुदवाना शुरू कर दी थी वो भी शौक से।

मेरा नाम मनीष है मैंने बीकॉम कम्प्लीट कर लिया है अब मैं अपने गांव में रहता हूँ , जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था तब मामा जी के यहाँ ही रहकर पढ़ता था मेरे बड़े मामा प्रोफ़ेसर हैं उनकी बटे की शादी के बाद मैं भाभी को पटा लिया था और वहीँ पर बुर का जुगाड़ हो गया था भैया चेन्नई में जॉब करते थे इसलिए भाभी अकेली रहा करती थीं और मैं इसका फायदा उठा लिया। 

एक दिन किचेन में भाभी को किस करते देख ली मामी उसी दिन दे नजर रख रही थी मैं दशहरा घूमने गया था वहां अष्टमी के दिन सबलोग गए घूमने और मैं और भाभी नहीं गए रात के साढ़े आठ बज रहे होंगे मैं भाभी का माल मारने जा ही रहा था की दरवाजा बजने की आवाज आयी मैं जाकर देखा तो छोटी मामी बोली मैं आ गयी वो लोग घूम रहे हैं मेरा सर दर्द करने लगा था कहते हुए मेरे लण्ड पर देखती अपने कमरे में चली गयी मैं तौलिया लपेट रखा था और मेरा लण्ड हल्का तना हुआ था, मैं कुछ धयान नहीं दिया और चुप चाप भाभी के कमरे में घुस गया और खेल स्टार्ट कर दिया , कमरे का लाइट जल रही थी और ढाबे में जो खिड़की थी थोड़ी सी खुली रह गयी थी जिसमे से छोटी मामी सब देख रही थीं। 

सुबह जब मैं चाय पि रहा था तब मामी बोली जरा दरवाजा खिड़की भी तो बंद कर लिया कीजिये और वैसे तो गधे भी नहीं करते होंगे और मुस्कुराती हुयी चली गयी।  मेरा कलेजा धक् धक् करने लगा और नास्ता करने के बाद अपने गांव आ गया। 

कुछ दिन बाद दिवाली का सामान लाने शहर गया तो सोचा की चलो मामाजी के यहाँ भी घूम लेता हैं , घर पहुंचा तो दरवाजा बंद था मैंने आवाज लगाया थोड़ी देर में दरवाजा खुला और मैं जैसे ही नादर आया निचे देखा पानी से गिला जमीन दो ऊपर नजर उठाया तो देखा की एक लम्बी हलकी मोटी और गोरी औरत भीगी हुयी जा रही है बाथरूम की ओर तभी मुझे मामी वाली उस दिन की बात याद आयी मैं तो भूल ही गया था ये बात नहीं तो आता ही नहीं , मैं सीधा ऊपर वाले कमरे में गया देखा घर सुन सं पड़ा था किसी की होने की आवाज नहीं आ रही थी तभी छोटी मामी की आवाज आयी मनीष बबुआ जरा कपडा दीजियेगा मेरा बाहर ही है शायद घर पे कोई नहीं था और मामी कपडा बाहर ही रखकर नाहा रही होंगी। 

मैं मामी के बारे में कुछ कुछ सोंचे लगा छोटे मामा मिलिट्री में थे वो कभी कभी यहाँ आते थे मामी को अभी तक एक भी बच्चे नहीं हुए थे शादी को सात साल लगभग हो चुके थे मामी पहले से भी थोड़ा बहुत मजाक करते रहती थी , मैं कपड़ा लेकर गया और दरवाजा बजाना चाहा वो खुल गया दरवाजा बंद ही नहीं था मैं हल्का खोलकर बोलै ये लीजिये मामीजी, वो हँसते हुए बोली अंदर आकर रख दीजिये मेरे हाथ में साबुन लगा है मैं समझ गया की मामी के मन कुछ चल तो नहीं रहा है,

मैं अंदर गया और कपडे टांग कर आते समय जानबूझकर उनके तरफ नजर घुमाकर देख लिया वो सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी पुरे शरीर पर साबुन लगा राखी थी और उनका हाथ दोनों चूँचियों पर पड़ा था मैं वापस आने लगा तो बोली आप यही बैठ जाइये बात करते रहते हैं अकेले आप बोर हो जाइएगा , मैं बाहर पड़े चेयर पर बैठ गया बात करते करते मामी ने दरवाजा खोल दिया जो मैं आते ही लगा दिया था और बोली आवाज साफ नहीं आ रही है और वो नहाने लगी मैं कभी कभी उनके तरफ देख ले रहा था, वो बोली शर्मा क्यों रहे हैं अभी तो पार्टी शुरू हुयी हैं आप भाभी को ढूंढ रहे होंगे पर आज उनके बदले मेरे से पाला पड़ने वाला है देखती हु आपकी गधे जैसे हथियार की ताकत और वो मुस्कुराने लगी मेरा लण्ड अब खड़ा हो चूका था मैं बार बार उनके भरे हुए मस्त शरीर को निहार रहा था वो एकदम गदरायी हुयी थी उनकी ठुकाई भी बहुत ज्यादा नहीं हो पायी थी वो साल में एक महीना ही मुश्किल से ठुक पति होंगी ,

वो देर तक नहाने के बाद बिना कपडे पहने बाहर आयी और तौलिया से अपना पूरा बॉडी पोंछने लगी ये सब करते देख मेरा मन चोदने के लिए तड़प उठा था पर मैं कुछ नहीं बोल रहा था अभी मामी ने मुझे कपडे उतारने को बोली मुझे अब कुछ नहीं सूझ रहा था मैं कपडे उतर दिया वो बोली लेट जाइये मैं उनका हर कहना ऐसे किये जा रहा था जैसे उन्होंने मुझपर कोई जादू कर दिया हो वो मेरे पास आ आयी और मेरा लण्ड पकड़ ली फिर ऊपर निचे करते हुए बोली सच में मनीष जी आपका लण्ड हैवी है आप तो चोद चोद कर निहाल कर देते होंगे कितना बार कर चुके होंगे अबतक ? मैं कुछ नहीं बोला वो मुस्कुराती हुयी अपने मुँह से मेरा लण्ड चाटने लगी , मैं तो हैरान था ये अब के लिए भाभी को मनना पड़ता था और मामीजी तो अपने आप ही सब कार करि हैं,

मेरा लण्ड मुँह में लेलकर खूब चूसी गांव की आइसक्रीम जैसा फिर वो खुद ही ऊपर आकर मेरा लण्ड अपने बुर में घुसा ली और ऊपर निचे अपना चूतड़ हिलहिलाकर चुदवाने लगी मैं उनके बड़े बुर में अपना लण्ड अंदर बहार आते जाते देख रहा था मुझे बहुत मजा आने लगा था बुर तो बड़ी थी पर नई मल जैसी टाइट और साफ सुथरी चिकनी चकनी थी मैं देख देख कर सोच रहा था की यार मामी मुझे अपने बुर पर किस करने को बोल देती तो मैं तर जाता। 

इनका जांघ भी मोटा मोटा गोल गोल चिकना चिकना था शायद वो कुछ दिन पहले ही अपना बल साफ की थी क्युकी अभी हलकी हलकी झांट निकली थी ऐसे में उनका बुर का नजारा पागल कर देने वाला था लण्ड अंदर बाहर जाए कूच कूच कच कच का मधुर आवाज भी मदहोस कर रहा था मैं सोच रहा था की ऐसे ही मामी चुदवाती रहें खूब देर से और मैं मजा लूँ देख देख कर उन बुर में अपना लण्ड आए जाते। 

मामी अब हल्की हलकी सिस्कारि लेने लगी शायद उनको अब मजा आने लगा था मैं अब धीरे धीरे निचे ऊपर की और धका मारना स्टार्ट कर दिया मामी सी सी कर च च सी च सी आह आह अहह सी सी करने लगी, कुछ देर ऐसे चुदवाई और फिर उस तरफ घूमकर गयी अब उनका पीछे का सारा भाग दिख रहा था, उनकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूतड़ और उसके बिच में टाइट बुर में फंसा मेरा लण्ड अंदर बाहर करते और उनके गाँड़ का छेद देखते मुझे बहुत मजा आ रहा था, 

मैं खुद उनके ऊपर चढ़कर घचाघच चोदना चाह रहा था पर मैं उनसे कह नहीं प् रहा था वो ऐसे ही चुदवाने  में मस्त थी तभी मैं निचे से कसकर धका मारा वो उचककर घुटनो पर खड़ी हो गयी मैं भी उठाकर पीछे से उनका चूँची दबाने लगा कुछ देर मामी ने ऐसे दी चूचियां दबवायी और धीरे धीरे आगे की तरफ झुकती गयी धीरे धीरे वो घोड़ी बन गयी मैं उनके पीठ पर चढ़े हुए से था और चूचियाँ दबाये जा रहा था मेरा लण्ड मामी के गाँड़ पर रगड़ खा रहा था और फिर मैं सीधा हुआ और उनके बुर के छेद पर लंड लगाकर हच से मार दिया मेरा लण्ड गप से उनके बुर के भीतर चला गया मामी आगे उचकते हुए आह कर दी मैं उनका कन्धा निचे की तरफ दबाया वो और अब बिलकुल ऊपर खुली हुयी बुर और गांड़ दोनों नजर आ रहा था मैं कन्फ्यूज हो गया किसमे  घुसाए मेरा मन मामी का गाँड़ का भी मजा लेने को कर रहा था तभी मामी बोली क्या हुआ घुसाईये पर धीरे से घुसाईयेगा,

मैं मामी के बुर को ऊँगली से सहलाया मे मन पगला सा मतवाला हाथी जैसा होने लगा और उनके बुर में घुसा के घचाघच चोदने लगा मामी ओह ह आह धीरे धीरे ना आहे आह किये जा रही थी पर मैं अब नहीं रुक रहा था उनको जोर जोर से पेले जा रहा था  मैं जब उनके दोनों चूतड़ पकड़ कर धका मरता था वो आह कर देती थी मैं बोला यही है न गधों वाली चुदाई। .......







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