Saturday, February 1, 2020

MBBS दीदी की डॉगी स्टाइल में चुदाई

क्यों खुद के ही प्रयास से MBBS दीदी ने डॉगी स्टाइल में चुदवायी?

हेलो दोस्तों, आज मैं धीरेन्द्र की कहानी पोस्ट किया आपको पढ़कर बहुत मजा आएगा।

मेरा नाम धीरेन्द्र है मैं लखनऊ में रहकर exam की तैयारी करता हूँ, मैं लम्बा गोरा 25 साल से ज्यादा का हूँ मेरा लण्ड छे इंच से थोड़ा ज्यादा है और एकदम गोरा है मेरे लण्ड की दीवानी मेरे गांव की दो तीन लड़कियां हैं मैं जब भी गांव जाता हु बड़े आराम से बुर चोदने को मिल जाता है, एक दिन मेरे पापा का फ़ोन आया की परसो आयशा जाने वाली है उसे लेने स्टेशन चले जाना और वहाँ दो दिन रहेगी देखना कोई दिक्कत न हो उसके पापा तुमको फ़ोन करेंगे, मैं बोला ठीक है पापा।

शाम में अंकल का फोन आया बोले बेटा मेरी लड़की को कुछ काम था लखनऊ में, वो दो दिन वहाँ  रुकना चाहती है, मैंने तेरे पापा से बात किया था तो बेटा थोड़ा देख लेना, मैं बोला ठीक है अंकल जी, ये मेरे गांव के अजय त्रिपाठी थे वहीँ हाई स्कुल में पढ़ाते हैं इनकी लड़की आयशा एमबीबीएस कम्प्लीट कर चुकी थी कभी कभी जब मैं गांव जाता था त्योहारों में, तो ये मिलती थी मैं दीदी बोलता था, आयशा लम्बी चौड़ी ठीक ठाक थी उसकी गोराई भी उजली वाली थी।

 अगले दिन आयशा ने ही कॉल की बोली ग्यारह बजे स्टेशन आ जाने के लिए, मैं बोला ठीक है दीदी, अगले दिन मैं स्टेशन गया लेने फिर उनको रूम पर छोड़ कर मैं कोचिंग चला गया।  मैं खाना बना दिया था मॉर्निंग में ही उनको सब बता दिया था जाते समय, जब मैं वापस आया तो लेटी थी दरवाजा खुलवाया वो नहाकर कपडे बदल ली थी थोड़ी देर बाद वो अपने गांव से खाने की सामग्री लायी थी वही निकल कर दी, फिर हम दोनों साथ में खाने लगे उन्होंने पढाई लिखाई के बारे में पूछ ताछ  की फिर मैं शाम को सब्जी लाने जाने लगा तो वो भी जाने को बोली मैं बोला नहीं दीदी आप यही रुकिए मैं लेकर आता हूँ पर वो नहीं मानी।

मार्केट में जाने के बाद सब्जी का पैसा भी जबरदस्ती उन्होंने ही दिया फिर हमदोनो चाउमीन और गोलगपे भी खाये फिर घर आ गये।  हमदोनो ने मिलकर खाना बनाया और खाया फिर उनको अंदर सोने के लिए बोलकर मैं हॉल में सो गया एक ही कमरा था और सिंगल बेड  था मेरे पास इसलिए मैं उनके साथ नहीं सोया, मैं दोस्त के साथ चैट कर रहा था whatsaap पर तभी एक लिंक आया मैं उसपर क्लिक कर दिया वो जैसे ही ओपेन हुआ आह अहह की आवाज गूंज गयी मैं झट अपना साउंड काम कर लिया और ईयर फ़ोन लाने कमरे में गया तो देखा आयशा व्हाइट कलर की टाइट टीशर्ट पहन कर सोई मोबाइल में कुछ देख रही थी मुझे देख उन्होंने बोला क्या कोई प्रॉब्लम हुआ मैं बोला नहीं दीदी और मैं बहार आकर बीएफ विडिओ देखने लगा  काफी देर बाद मुझे कुछ आहट सी महसूस हुयी मैं कमरे की तरफ देखा पर्दा गिरा हुआ था मुझे शक हुआ कहीं आयशा दीदी ने देख तो नहीं लिया, काफी रात हो जाने पर मुझे लगा वो सो गयी हैं और मैं करवट होकर देख रहा था जिस वजह से मेरा मोबाइल दरवाजे की तरफ से साफ दिख रहा होगा मैं अपना लण्ड भी हाथ से हिला रहा था मैं सोचने लगा अगर देख ली होंगी तो क्या सोचेंगी और मैं मोबाईल रखकर सो गया।

थोड़ी ही देर बाद पीछे किसी का होने का आहाट महसूस कर घुमा तो देखा दीदी बगल में सोई है मैं सोचा अंदर गर्मी लगती है शायद इस वजह से आयी होंगी और मैं सीधा सो गया अचानक मेरी आंख खुली दीदी का हाथ हिल रहा था और वो कभी कभी सी सी कर रही थी मेरा रोम रोम खड़ा हो गया हलकी हल्की रोशनी में आयशा दीदी का एक टांग दिख रहा था वो शायद अपने बुर को साहला रही थी मेरे मन में ये बात आते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

मैं जानबूझकर करवट बदला और उनके चूँची पर हाथ रखकर सो गया मेरा लण्ड उनके जांघ में सट हुआ था अयसा दीदी शांत थी थोड़ी देर बाद मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया जिससे उनका चूँची दब गया हल्का सा फिर वो अपना हाथ कभी ढीला अभी दबा रही थी मैं अपना हाथ धीरे से खींचना चाहा पर उन्होंने दबा लिया मैं धीरे धीरे खुद ही दबाना शुरू कर दिया वो कुछ नहीं बोली फिर अपना हाथ हटा लिया मेरा लण्ड बिलकुल तन गया था जैसे उनके जांघ में छेद कर देगा , अब मैं दोनों चूचियें को दबाये जा रहा था और वो चुप चाप अपना चूची मिसवा रही थी तभी वो उठकर बैठ गयी , मैं कुछ नहीं बोला, वो उठी और बाथरूम चली गयी उसमे से मुझे धीरे धीरे छुररर की आवाज सुनाई देने लगी फिर वो आयी और कमरे में चली गयी, मैं सोचा क्या हुआ क्यों चली गयी अच्छे से तो चुंची  मिसवा रही थी तभी वो आयी और लाइट जला दी मैं उनके तरफ देखा वो मुस्कुरा रही थी , बोली गन्दी विडिओ देखकर मन ख़राब कर लिए हो रोज यही करते हो क्या चलो सेक्स करते हैं,

मैं सोचा ही नहीं था की ऐसे होगा मैंमैं ही मन खुस हो गया और बोलै नहीं आयशा दीदी रोज नहीं देखता हूँ, मेरा एक दोस्त भेज दिया था, फिर देर अब किस बात की थी मैं अपना लण्ड निकाला तो वो बोली ओये होये क्या हैवी चीज पाए हो कितना गोरा है तुम्हारा, मैं मुस्कुरा दिया अरे आयशा दीदी आपके जितना गोरा थोड़ी है फिर मैं बैठा और उनको किस कर लिया वो बोली wawo क्या बात है और मैं लगातार किस करने लगा फिर उनका मुँह निचे करते हुए अपने लण्ड के सामने ला दिया मुझे लण्ड चुसवाने में बड़ा मजा आता है और मेरा  गोरा लण्ड लड़कियां बहुत मजे से चुस्ती हैं,


फिर आयशा ने मेरा लण्ड चाटने लगी और खूब बड़ाई कर रही थी की तुम्हरा लंड कितना मस्त है यार वो जितनी भी ऐसे बोली रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरा लण्ड  लोहे जैसा सख्त होता जा रहा था फिर वो बोली अब करना स्टार्ट करो और वो डॉगी स्टाइल में पीछे की तरफ घूम गयी, उनका गोरा चूतड़ के बिच में गांड और बड़ा सा बुर का दरार दिखने लगा। 

मैं अपने हिलते हुए लण्ड को उनके बुर के छेद पर भिंडा दिया और बिना देर किये झटका मारा मेरा लण्ड आयशा दीदी के बुर भीतर आधा घुस गया वो वो कराह सी दी और बोली अरे रे मनीष जरा धीरे यार इतने जल्दी में क्यों हो पूरी रात हैं भाई आराम से करो वोह दर्द करा दिया मैं बोला अच्छा ठीक है फिर मैं वापस निकाला और दोबारा पेल दिया लण्ड फिर आधा अंदर जा चूका था वो उँह करते अपना चूतड़ सहलाने लगी फिर मैं धीरे दिए अपना गति बड़ा दिया।

अब मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं कसके उनके बुर में अपना लण्ड धकेल दिया वो कराह दी पर इस बार कुछ नहीं बोली मैं झटके मार मार उनका बुर छोड़ने लगा वो उँह उँह कर रही थी और अपना चूतड़ कभी राइट कभी लेफ्ट किये जा रही थी,


मैं जब धका मारता वो उँह करके अपना चूतड़ हिला लेती और लेफ्ट तो कभी राइट घुमाते मस्त चुदाई का आनंद ले रही थी उनका बुर इतना टाइट था की मेरा लण्ड फँस फँस कर अंदर बाहर आ जा रहा था मैं लगातार चोदे जा रहा था। 

अचानक उनके बुर से पुइं पुइं तो कभी पम पम की आवाज आने लगी मैं जैसे ही अपना लण्ड पीछे खींचकर उनके बुर के अंदर पूरा ठेलता वैसे ही पम या पुइं की सिटी बज जाती थी मैं पहली बार इतना तेज तेज ऐसे आवाज सुन रहा था (ये आवाज सुन मकान मालकिन भी जुगाड़ लगायी ) मैं खूब चोदा मन लगा के और वो भी अपना गांड कभी इधर कभी उधर कर ुन्ह ुन्ह करे चुदवा रही थी, मेरा पूरा शशिर पसीने से भीग था फिर वो आगे बढ़ गयी और मेरा लण्ड निकल गया मैं सोहा की दोबारा लगाऊं पर आयशा दीदी ने सीधी होकर लेट गयी। 


अब मेरे सामने उनका टाइट बुर जो मेरे लण्ड में दर्द करा दिया मेरे सामने पड़ा था मैं उसको चोद चोद कर हलवा बनाना चाहता था और उनका पैर फैलाया और सीधा उनके बुर में घुसा दिया वो हाफ रही थी और इधर उधर देख रही थी सिसकारी भरते हुए बोली मनीष पानी नहीं रखे थे मैं रुक गया और इधर उधर देखा कहीं पानी नहीं दिखा फिर मैं लण्ड न चाहते हुए भी निकाला और तुरंत पानी लाकर दिया वो गट गट पूरी ग्लास की पानी पि गयी फिर हाफ्ते हुए लेट गयी और मैं उनके ऊपर चढ़ गया फिर उनको किस किया और लण्ड उनके बुर पर ऊपर निचे लगड़ने लगा वो धीरे से मुस्कुरई अपना चूतड़ उचका कर मेरा लण्ड का मुँह अपने बुर में घुसा ली मैं आव देखा न ताव हचाक से उनके बुर में धका  मारा, मेरा पूरा लण्ड घपाक से उनके बुर घुस कर दब  गया, वो मम्मी आह मम्मी ुन्ह जरा धिरे यार जान लोगे क्या  बोली और मेरा मुँह देखने लगी, गजब टाइट बुर था उनकी आँखों में गजब की नशा दिख रही थी , फिर वो हलकी शांत सी हुयी और मैं हल्का तेज और घापा घप चुदाई करने लगा जी भर के चोदा दो दिन निहाल करके गयी दो दिन उनकी बुर की बहुत यद् आती है इस बार होली में गांव जरूर जायेंगे। 

क्यों छोटी मामी भी चुदावा ली ?

हेलो दोस्तों ये कहानी मैं मनीष का भेजा हुआ पोस्ट किया है जो अपने मामा जी के यहाँ अक्सर जाते रहता था अपनी बड़ी वाली मामी की बहु यानि भाभी को चोदने उसी बिच छोटी भाभी भी चुदवाना शुरू कर दी थी वो भी शौक से।

मेरा नाम मनीष है मैंने बीकॉम कम्प्लीट कर लिया है अब मैं अपने गांव में रहता हूँ , जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था तब मामा जी के यहाँ ही रहकर पढ़ता था मेरे बड़े मामा प्रोफ़ेसर हैं उनकी बटे की शादी के बाद मैं भाभी को पटा लिया था और वहीँ पर बुर का जुगाड़ हो गया था भैया चेन्नई में जॉब करते थे इसलिए भाभी अकेली रहा करती थीं और मैं इसका फायदा उठा लिया। 

एक दिन किचेन में भाभी को किस करते देख ली मामी उसी दिन दे नजर रख रही थी मैं दशहरा घूमने गया था वहां अष्टमी के दिन सबलोग गए घूमने और मैं और भाभी नहीं गए रात के साढ़े आठ बज रहे होंगे मैं भाभी का माल मारने जा ही रहा था की दरवाजा बजने की आवाज आयी मैं जाकर देखा तो छोटी मामी बोली मैं आ गयी वो लोग घूम रहे हैं मेरा सर दर्द करने लगा था कहते हुए मेरे लण्ड पर देखती अपने कमरे में चली गयी मैं तौलिया लपेट रखा था और मेरा लण्ड हल्का तना हुआ था, मैं कुछ धयान नहीं दिया और चुप चाप भाभी के कमरे में घुस गया और खेल स्टार्ट कर दिया , कमरे का लाइट जल रही थी और ढाबे में जो खिड़की थी थोड़ी सी खुली रह गयी थी जिसमे से छोटी मामी सब देख रही थीं। 

सुबह जब मैं चाय पि रहा था तब मामी बोली जरा दरवाजा खिड़की भी तो बंद कर लिया कीजिये और वैसे तो गधे भी नहीं करते होंगे और मुस्कुराती हुयी चली गयी।  मेरा कलेजा धक् धक् करने लगा और नास्ता करने के बाद अपने गांव आ गया। 

कुछ दिन बाद दिवाली का सामान लाने शहर गया तो सोचा की चलो मामाजी के यहाँ भी घूम लेता हैं , घर पहुंचा तो दरवाजा बंद था मैंने आवाज लगाया थोड़ी देर में दरवाजा खुला और मैं जैसे ही नादर आया निचे देखा पानी से गिला जमीन दो ऊपर नजर उठाया तो देखा की एक लम्बी हलकी मोटी और गोरी औरत भीगी हुयी जा रही है बाथरूम की ओर तभी मुझे मामी वाली उस दिन की बात याद आयी मैं तो भूल ही गया था ये बात नहीं तो आता ही नहीं , मैं सीधा ऊपर वाले कमरे में गया देखा घर सुन सं पड़ा था किसी की होने की आवाज नहीं आ रही थी तभी छोटी मामी की आवाज आयी मनीष बबुआ जरा कपडा दीजियेगा मेरा बाहर ही है शायद घर पे कोई नहीं था और मामी कपडा बाहर ही रखकर नाहा रही होंगी। 

मैं मामी के बारे में कुछ कुछ सोंचे लगा छोटे मामा मिलिट्री में थे वो कभी कभी यहाँ आते थे मामी को अभी तक एक भी बच्चे नहीं हुए थे शादी को सात साल लगभग हो चुके थे मामी पहले से भी थोड़ा बहुत मजाक करते रहती थी , मैं कपड़ा लेकर गया और दरवाजा बजाना चाहा वो खुल गया दरवाजा बंद ही नहीं था मैं हल्का खोलकर बोलै ये लीजिये मामीजी, वो हँसते हुए बोली अंदर आकर रख दीजिये मेरे हाथ में साबुन लगा है मैं समझ गया की मामी के मन कुछ चल तो नहीं रहा है,

मैं अंदर गया और कपडे टांग कर आते समय जानबूझकर उनके तरफ नजर घुमाकर देख लिया वो सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी पुरे शरीर पर साबुन लगा राखी थी और उनका हाथ दोनों चूँचियों पर पड़ा था मैं वापस आने लगा तो बोली आप यही बैठ जाइये बात करते रहते हैं अकेले आप बोर हो जाइएगा , मैं बाहर पड़े चेयर पर बैठ गया बात करते करते मामी ने दरवाजा खोल दिया जो मैं आते ही लगा दिया था और बोली आवाज साफ नहीं आ रही है और वो नहाने लगी मैं कभी कभी उनके तरफ देख ले रहा था, वो बोली शर्मा क्यों रहे हैं अभी तो पार्टी शुरू हुयी हैं आप भाभी को ढूंढ रहे होंगे पर आज उनके बदले मेरे से पाला पड़ने वाला है देखती हु आपकी गधे जैसे हथियार की ताकत और वो मुस्कुराने लगी मेरा लण्ड अब खड़ा हो चूका था मैं बार बार उनके भरे हुए मस्त शरीर को निहार रहा था वो एकदम गदरायी हुयी थी उनकी ठुकाई भी बहुत ज्यादा नहीं हो पायी थी वो साल में एक महीना ही मुश्किल से ठुक पति होंगी ,

वो देर तक नहाने के बाद बिना कपडे पहने बाहर आयी और तौलिया से अपना पूरा बॉडी पोंछने लगी ये सब करते देख मेरा मन चोदने के लिए तड़प उठा था पर मैं कुछ नहीं बोल रहा था अभी मामी ने मुझे कपडे उतारने को बोली मुझे अब कुछ नहीं सूझ रहा था मैं कपडे उतर दिया वो बोली लेट जाइये मैं उनका हर कहना ऐसे किये जा रहा था जैसे उन्होंने मुझपर कोई जादू कर दिया हो वो मेरे पास आ आयी और मेरा लण्ड पकड़ ली फिर ऊपर निचे करते हुए बोली सच में मनीष जी आपका लण्ड हैवी है आप तो चोद चोद कर निहाल कर देते होंगे कितना बार कर चुके होंगे अबतक ? मैं कुछ नहीं बोला वो मुस्कुराती हुयी अपने मुँह से मेरा लण्ड चाटने लगी , मैं तो हैरान था ये अब के लिए भाभी को मनना पड़ता था और मामीजी तो अपने आप ही सब कार करि हैं,

मेरा लण्ड मुँह में लेलकर खूब चूसी गांव की आइसक्रीम जैसा फिर वो खुद ही ऊपर आकर मेरा लण्ड अपने बुर में घुसा ली और ऊपर निचे अपना चूतड़ हिलहिलाकर चुदवाने लगी मैं उनके बड़े बुर में अपना लण्ड अंदर बहार आते जाते देख रहा था मुझे बहुत मजा आने लगा था बुर तो बड़ी थी पर नई मल जैसी टाइट और साफ सुथरी चिकनी चकनी थी मैं देख देख कर सोच रहा था की यार मामी मुझे अपने बुर पर किस करने को बोल देती तो मैं तर जाता। 

इनका जांघ भी मोटा मोटा गोल गोल चिकना चिकना था शायद वो कुछ दिन पहले ही अपना बल साफ की थी क्युकी अभी हलकी हलकी झांट निकली थी ऐसे में उनका बुर का नजारा पागल कर देने वाला था लण्ड अंदर बाहर जाए कूच कूच कच कच का मधुर आवाज भी मदहोस कर रहा था मैं सोच रहा था की ऐसे ही मामी चुदवाती रहें खूब देर से और मैं मजा लूँ देख देख कर उन बुर में अपना लण्ड आए जाते। 

मामी अब हल्की हलकी सिस्कारि लेने लगी शायद उनको अब मजा आने लगा था मैं अब धीरे धीरे निचे ऊपर की और धका मारना स्टार्ट कर दिया मामी सी सी कर च च सी च सी आह आह अहह सी सी करने लगी, कुछ देर ऐसे चुदवाई और फिर उस तरफ घूमकर गयी अब उनका पीछे का सारा भाग दिख रहा था, उनकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूतड़ और उसके बिच में टाइट बुर में फंसा मेरा लण्ड अंदर बाहर करते और उनके गाँड़ का छेद देखते मुझे बहुत मजा आ रहा था, 

मैं खुद उनके ऊपर चढ़कर घचाघच चोदना चाह रहा था पर मैं उनसे कह नहीं प् रहा था वो ऐसे ही चुदवाने  में मस्त थी तभी मैं निचे से कसकर धका मारा वो उचककर घुटनो पर खड़ी हो गयी मैं भी उठाकर पीछे से उनका चूँची दबाने लगा कुछ देर मामी ने ऐसे दी चूचियां दबवायी और धीरे धीरे आगे की तरफ झुकती गयी धीरे धीरे वो घोड़ी बन गयी मैं उनके पीठ पर चढ़े हुए से था और चूचियाँ दबाये जा रहा था मेरा लण्ड मामी के गाँड़ पर रगड़ खा रहा था और फिर मैं सीधा हुआ और उनके बुर के छेद पर लंड लगाकर हच से मार दिया मेरा लण्ड गप से उनके बुर के भीतर चला गया मामी आगे उचकते हुए आह कर दी मैं उनका कन्धा निचे की तरफ दबाया वो और अब बिलकुल ऊपर खुली हुयी बुर और गांड़ दोनों नजर आ रहा था मैं कन्फ्यूज हो गया किसमे  घुसाए मेरा मन मामी का गाँड़ का भी मजा लेने को कर रहा था तभी मामी बोली क्या हुआ घुसाईये पर धीरे से घुसाईयेगा,

मैं मामी के बुर को ऊँगली से सहलाया मे मन पगला सा मतवाला हाथी जैसा होने लगा और उनके बुर में घुसा के घचाघच चोदने लगा मामी ओह ह आह धीरे धीरे ना आहे आह किये जा रही थी पर मैं अब नहीं रुक रहा था उनको जोर जोर से पेले जा रहा था  मैं जब उनके दोनों चूतड़ पकड़ कर धका मरता था वो आह कर देती थी मैं बोला यही है न गधों वाली चुदाई। .......